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कावड़ यात्रा 2019 की सम्पूर्ण जानकारी ? Kawad Yatra Haridwar 2019

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हर साल श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवडिये सुदूर स्थानों से आकर गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर पदयात्रा करके अपने गांव वापस लौटते हैं इस यात्राको कांवड़ यात्रा बोला जाता है। श्रावण की चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से अपने निवास के आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक किया जाता है।
भगवान परशुराम ने अपने आराध्य देव शिव के नियमित पूजन के लिए पुरा महादेव में मंदिर की स्थापना कर कांवड़ में गंगाजल से पूजन कर कांवड़ परंपरा की शुरुआत की जो आज भी देशभर में काफी प्रचलित है. पंडित विनोद पाराशर ने कहा कि कांवड़ की परंपरा चलाने वाले भगवान परशुराम की पूजा भी श्रावण मास में की जानी चाहिए | भगवान परशुराम श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को कांवड़ में जल ले जाकर शिव की पूजा-अर्चना करते थे. शिव को श्रावण का सोमवार विशेष रूप से प्रिय है. श्रावण में भगवान आशुतोष का गंगाजल व पंचामृत से अभिषेक करने से शीतलता मिलती है | भगवान शिव की हरियाली से पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है. खासतौर से श्रावण मास के सोमवार को शिव का पूजन बेलपत्र, भांग, धतूरे, दूर्वाकुर आक्खे के पुष्प और लाल कनेर के पुष्पों से पूजन करने का प्रावधान है. इसके अलावा पांच तरह के जो अमृत बताए गए हैं उनमें दूध, दही, शहद, घी, शर्करा को मिलाकर बनाए गए पंचामृत से भगवान आशुतोष की पूजा कल्याणकारी होती है | भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने के लिए एक दिन पूर्व सायंकाल से पहले तोड़कर रखना चाहिए. सोमवार को बेलपत्र तोड़कर भगवान पर चढ़ाया जाना उचित नहीं है. भगवान आशुतोष के साथ शिव परिवार, नंदी व भगवान परशुराम की पूजा भी श्रावण मास में लाभकारी है |

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49 Comments

  1. भाई कावड़िया जल भरने के लिए कावड़ कहा से लाते है कावड़ का पूरा सामान कहा से लाते है
    और गंगा जी से जल लाके कहां चढ़ाते है

    जय श्री महाकाल

    हर हर महादेव 🚩🔱🔱🔱

  2. om namho shivay 🙏❤😘😗🥳🌹🌼🌺🌻🥰🌸💕😍🌷🙏🙏🙏🙏🤗🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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