बनारस का दशाश्वमेघ घाट हर शाम दीयों की मध्यम रौशनी से नहा उठा है… घंटे और घड़ियालों की आवाज हवाओं में दूर तलक तैरने लगती है… धूप-दीप की खूशबू शीतलता और शांति का पैगाम लेकर फिजाओं को आगोश में कर लेती है…. गंगा तट का रमणिक श्रृंगार आंखों को सुकून पहुंचाता है… यकीनन स्वर्ग से धरा पर कल कल बहती गंगा को देखकर साक्षात् भागीरथी भी वाह वाह कर उठते होंगे… आखिर क्या खास हैं गंगा में जिसकी बहती में एक डूबकी के लिए सात समंदर पार का भी मुसाफिर खींचा चला आता है…. क्या है गंगा आरती का इतिहास.. देखिए…
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