Agar Nuclear War Shuru Ho Jaye Toh Kya Hoga? | What I Saw in Hiroshima, Japan

ये ये सारी इसकी रेडिएशन थी और उसने देखें ये सब चीजें तबाह कर दी जो एटॉमिक बम से बच गई थी। मैं जिस स्कूल के ऊपर खड़ा हूं यहां अमेरिका ने टारगेट किया था कि एटम बम ये देखें इस तरह की सिचुएशन हो गई थी। जस्ट ये वाली बिल्डिंग जो है ना ये कुछ बच्चों के कपड़े रखे हुए हैं उस जमाने 64 से जल रहा है। और ये कहते हैं ये तब तक जलता रहेगा जब तक दुनिया से न्यूक्लियर वेपन ये उन बच्चों की याद के अंदर बनाया गया है जो एटॉमिक बम की वजह से। ये बिल्डिंग बताती है लोगों को के एटॉमिक जो जंग है वो कितनी खतरनाक है। लेकिन अब मैंने देख रहा हूं कि दोबारा फुल टाइम जो है ना जिंदगी दोबारा स्टार्ट हो चुकी है। बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बन गई हैं। हेलो जी वेलकम फ्रॉम ओसाका जापान। आज हमें बारिश ने पकड़ लिया है। हम लोग कल रात ही असाका पहुंचे थे और आते साथ जनाब साहब मैं सो गया था और उसके बाद ल्ड्री वगैरह मैंने करवा ली अपने हॉस्टल से ही। तो आज हम लोग यार प्लान यही था कि हम लोग ना हिरशिमा जाते हैं। देखते हैं हिरोशिमा कैसा है क्योंकि हिरोशिमा का तो सबको ही पता है। हम ना अपनी बचपन में किताबों में पढ़ते होते थे कि अमेरिका ने उधर एटम बम गिराया था। तो हमेशा से एक दिली ख्वाहिश थी कि कभी अगर मौका मिला तो वहां जरूर जाएंगे। तो आज मौका तो मिल रहा है अल्लाह खैर करे। लेकिन बारिश जो है ना थोड़ी सी तंग किया हुआ है। हरशिमा के अंदर भी बारिश है और उसाका के अंदर भी बारिश है। ये छतरी मुझे वहां से मिल गई है। अपने हॉस्टल से मैंने बोरो कर ली है। तो मैं अभी जा रहा हूं ट्रेन स्टेशन। वहां से हरशिमा का और यहां जो उसाका का पास लेते हैं। फिर यहां से बुलेट ट्रेन के ऊपर बैठ के जो है हम लोग हिरशिमा जाते हैं। अभी मैं जा रहा हूं। देखते हैं क्या सिचुएशन बनती है। सुबह-सुबह का इस तरह का माहौल है उसाका की रोड्स का। सुबह के 9:00 बजे हुए हैं। छोटी-छोटी बूंदा-बंदी हो रही है। यहां से सारे बुलेट ट्रेन के ट्रैक्स हैं जो हरशिमा, कटो, नारा, क्यो इर्द-गिर्द जहां भी जाना है ना आपने बुलेट ट्रेन पे वो यहीं से जाएंगे। ये लिखा भी हुआ है शकांजन ट्रैक्स। ओके। थैंक यू। कल जी मैं ओसाका पहुंचा तो मैं हरशिमा की ना टिकट ले रहा था। लेकिन फिर मुझे एक चीज का पता चला कि यहां ना पास मिलता है जेआर वेस्ट पास उससे आपके काफी ज्यादा बचत हो जाती है। वो इस तरह के जनाब वन साइड जो हीरो की टिकट है उसका से वो तकरीबन 11,000 यन की है। बट अगर ये वाला आप पास ले लें पांच दिन का पास है। इसमें आपको अनलिमिटेड इस एरिया के अंदर हीरोमा के ऑटो नारा तक जो है ना आपको ट्रेन बुलेट ट्रेन फ्री हो जाती हैं। तो मैंने वही आके पास ले लिया। इसकी कीमत थी 17,000 तो मतलब आने जाने का वैसे ही 22,000 की टिकट मिल रही थी लेकिन ये पास ले लिया तो अब हम फ्रीली विदाउट एनी टेंशन जो है हिरशिमा जाएंगे और इसके अलावा के ऑटो और नारा भी चले जाएंगे और इसके अलावा जनाब साहब हम लोग इसी पास को यूज़ करते हुए एयरपोर्ट भी चले जाएंगे। वरना एयरपोर्ट की अदा से टिकट तकरीबन 1500 जैपनीज़ की तो वो होती है। ये है जी हमारी ट्रेन बुलेट ट्रेन। जो हमें सवा घंटे के अंदर हिरोशिमा पहुंचा देगी। यहां से तकरीबन कि.मी.50 कि.मी. दूर है हिरोशिमा। देखिए कितनी शार्प इसका आगे से बनी हुई है। हवा को ऐसे चीरती जाती होगी। अच्छा सारी जो बोगियां है ना सारी जो ट्रेन है इसके अंदर 16 बोगियां होती हैं। तो हम लोगों की जो टिकट मिली है वो हमें 13व नंबर पे मिली है। 13वें नंबर वाले डब्बे पे। तो हम लोग अपने 13वें नंबर वाले डब्बे पे जा रहे हैं अभी। ये देखें ये 16 है और ऊपर लिखा भी हुआ है कि नॉट इन सर्विस अंदर क्लीनिंग वगैरह कर रहे हैं। ये देखिए ये है जी बुलेट ट्रेन। हां जी हम लोग जी हिशिमा पहुंच गए हैं। तकरीबन सवा घंटा लगा है हमें। अच्छा एक चीज मैंने नोट की है। हिरशिमा के अंदर इस तरह की छोटी-छोटी ट्रम भी चलती हैं। टोक्यो और उका के अंदर मैंने नहीं देखी। ये पता नहीं अब सवारी उतारनी लगी है या हां बस की तरह की छोटी सी ड्रम है। बहुत प्यारी लग रही है छोटी-छोटी क्यूट सी। तो जी हिरोशिमा पहुंच गए हैं। हिरोशिमा का मेरा नहीं ख्याल कोई ऐसा बंदा होगा जिसने हिरशिमा नागासाकी का नाम ना सुना होगा। हम बचपन से ही किताबों के अंदर हरशिमा नागासाकी के बारे में पढ़ते थे कि अमेरिका ने यहां जी बम गिराया। लेकिन अब मैंने देख रहा हूं कि दोबारा फुल टाइम जो है ना जिंदगी दोबारा स्टार्ट हो चुकी है। बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बन गई हैं। लोग अपने-अपने कामों पे जा रहे हैं। अब पता नहीं इन लोगों की क्या फीलिंग होगी कि यार 80 साल पहले जो इनके साथ ज्यादती हुई थी। एकदम से जनाब 1.5 लाख लोग मर गए थे। उसी सेकंड के अंदर जब वो एटम बम गिरा था। आई डोंट नो कि इनकी क्या फीलिंग होगी। लेकिन जो लाइफ है वो दोबारा से स्टार्ट हो चुकी है। यहां बड़ी-बड़ी इमारतें हैं। हर चीज दोबारा बन चुकी है। हम लोग वही जगह देखने जा रहे हैं जहां एक्चुअल में एटम बम गिरा था। ये इसका दरिया है। जहां कहते हैं कि मतलब पानी खत्म हो गया था। लाशें इतनी ज्यादा हो गई थी कि लाशों ने पानी को अब्सॉर्ब कर लिया था। और आज भी ये देखें ये दरिया बह रहा है साफ सुथरा। और इस तरह से सिटी का व्यू कुछ इस तरह से है। हम लोगों ने उस तरफ को जाना है। जापानियों ने दोबारा इस शहर को आबाद कर लिया है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी इनकी अच्छी है। बसें चल रही है, ड्राम चल रही है, मेट्रो चल रही है। हमारा सिग्नल क्योंकि ग्रीन है इसलिए यह बस जो है ना रुकी है। स्टेशन से तकरीबन ये 3 कि.मी. की वॉक है। तकरीबन आप 40 मिनट के अंदर कर लेते हो। तो मैंने कहा कि वॉक ही कर लेते हैं। सिटी भी देखते रहेंगे और साथ कुछ पैसे भी बच जाएंगे। हम लोग ये चलते-चलते उस जगह पे पहुंच गए हैं जहां एटम बम को अमेरिका ने गिराया था। ये एक पुल है। इसका नाम है आयो। ये पुल इस तरह का है कुछ। इस पुल को तोड़ने के लिए जनाब साहब या इस पुल के ऊपर जो है एटम बम को गिराया गया था और कहते हैं कि जो एटम बम था वो एक्चुअली जमीन के ऊपर नहीं फटा था वो जमीन से ऊपर ही 4500 मीटर ऊपर ही फट गया था जिसकी वजह से इतनी ज्यादा तबाही हुई थी और यहां एक ऐसी इमारत भी है जो बच गई थी वो भी हम लोग देखेंगे बाकी सारा सिटी जो है वो तबाह हो गया था यश वही इमारत बच गई थी मैं आपको दिखाता हूं अभी ये पुल के ऊपर एक्सजेक्टली उसी जगह पे जाएंगे। इन्होंने वहां जगह भी बनाई हुई है। मार्क किया हुआ है कि जहां उन्होंने उन्होंने अमेरिका ने बम गिराया था। और वो जो इमारत बच गई है वो इस तरफ है। वो मैं बाद में जाता हूं। पहले वो उस जगह को विजिट करते हैं जहां एग्जैक्टली जो है बम को गिराया गया था। अभी मैं जिस पुल के ऊपर खड़ा हूं यहां अमेरिका ने टारगेट किया था कि एटम बम को गिराएं। लेकिन यहां एटम बम नहीं फटा था। थोड़ा सा दूर जाके फटा था और जमीन से थोड़ा ऊपर 4 500 मीटर ऊपर फटा था। यह वाला पुल बच गया था। लेकिन इसके साथ एक और बिल्डिंग भी है जो बची थी वो ये सामने है। अभी हम लोग उधर जाते हैं और देखिए ये ऊपर इसका जो डोम है इसके शीशे वशे सब टूट गए हैं। और कहते हैं कि ये पूरा शहर जोसा है ना कारपेट बन गया था। जस्ट ये वाली बिल्डिंग जो है ना ये बची थी। आज हम इसे देखने के लिए आए हैं स्पेशली ओसाका से। तो अब हम लोग उधर जाते हैं। देखते हैं कि जो सी बिल्डिंग बच गई थी उसकी क्या सिचुएशन है। ये है जी वो बिल्डिंग जो एटॉमिक बम से बच गई थी। अंदर आप लोग नहीं जा सकते क्योंकि कहते हैं कि यह वाला ढांचा इसका जो है यह कभी भी गिर सकता है। इसको देखें अगर आप अंदर देखें तो अंदर हर चीज जो है ना बर्बाद हुई हुई है। ऊपर जितने डोम के शीशे नीचे हर चीज टूट गई थी। देखें काफी ज्यादा टूरिस्ट लोग जो हैं इसको देखने के लिए आए हैं। यह बिल्डिंग बताती है लोगों को कि एटॉमिक जो जंग है वो कितनी खतरनाक है। उस वक्त तो जो एटॉमिक बम थे वो तो छोटे-छोटे एटॉमिक बम थे और उसका नाम भी लिटिल बॉय था। जो एटॉमिक बम इस जगह पे गिराया था। लेकिन अब तो जितनी तरक्की इंसान ने कर ली है एटॉमिक बम में वो तो पूरी दुनिया को ही खत्म कर देगा। पूरी जमीन को ही खत्म कर देगा। यह बिल्कुल दरिया के साथ हम लोग चल रहे हैं। अभी हम लोग जो हैं यहां एक म्यूजियम है वहां वहां भी जाएंगे। वहां जो लोगों के बर्तन कपड़े जो उस वक्त इसका शिकार हो गए थे वो भी पड़े हुए हैं। वो भी देखेंगे हम लोग। आप अंदर से देखें। अच्छा अलार्म सिस्टम लगा हुआ है। अगर आप यह हलांग के अंदर जाएंगे तो अलार्म बोल पड़ेगा और फिर आपको हैवी प्लंटी और मे बी आपको जेल में भी डाल दें वो लोग। एक्चुअल में ये देखें ये पूरी बिल्डिंग इस तरह नजर आती है। ये इसका कंप्लीट व्यू है। और यहां कुछ इंफॉर्मेशन भी लिखी हुई है। ये देखें इस तरह की सिचुएशन हो गई थी। जस्ट ये वाली बिल्डिंग जो है ना यह बची थी और पूरा शहर देखें बिल्कुल तबाह हो गया था। और यहां लिखा हुआ है कि इस बिल्डिंग को 1996 के अंदर वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में भी डाल दिया था। [संगीत] ये है जी चिल्ड्रन पीस मोन्यूमेंट। ये बिल्कुल जहां एटम बम गिराया था उसके बिल्कुल साथ ही है। पीस पार्क के अंदर ये उन बच्चों की याद के अंदर बनाया गया है जो एटॉमिक बम की वजह से मर गए थे। तो यह उसी की याद के अंदर लोग यहां आते हैं और कागज के फूल बनाते हैं और यहां रख देते हैं। यहां कागज पड़े हुए हैं। आप चूज़ करके इस तरह के फूल बना के यहां रख सकते हैं। अब हम लोग जी पार्क की तरफ चलते हैं। पीस पार्क की तरफ। इन्होंने अपने पार्क, अपने मोनुममेंट, अपने डोम जो बच गया है उसका नाम पीस के ऊपर रखा है। यह नहीं कि अपने शोदा या जो लोग मरे थे उनकी नाम के ऊपर रख दिया। यह कहते हैं कि नहीं भाई जंग नहीं चाहिए। पीस ही होना चाहिए। ये रख सकते थे जो लोग मरे हैं उनके नाम पे रख सकते थे इस पार्क का नाम, उस डोम का नाम लेकिन इन्होंने नहीं रखा। इन्होंने कहा कि पीस के ऊपर इसका नाम रखते हैं। ये है जी पीस फ्लेम। ये देखें। ये 1964 से जल रहा है। और यह कहते हैं यह तब तक जलता रहेगा जब तक दुनिया से न्यूक्लियर वेपन जो है खत्म नहीं हो जाते। और मेरा नहीं ख्याल कि इंसान न्यूक्लियर वेपन को खत्म करने का सोच रहा है। लेकिन बहाल जापान ने जो है ना अपने पीस पार्क के अंदर यह फ्लेम को जलाया हुआ है और यह कहते हैं कि हम तब तक इसको जलाएंगे जब तक जो है न्यूक्लियर वेपन खत्म नहीं हो जाते। ये सामने डोम भी नजर आ रही होगी आपको। यह है जी पीस पार्क। यहां से आपको डोम और वो जो फ्लेम है बिल्कुल सीधा नजर आता है। ये देखें ये फ्लेम है और वो डोम नजर आ रहा होगा आपको। यह पार्क भी उन लोगों के लिए बनाया गया है। उन लोगों से बल्कि माफी मांगने के लिए बनाया गया है जो सफर हुए थे वर्ल्ड वॉर टू के अंदर एटॉमिक बम से और अमेरिका ने आज तक जो है जापान से माफी नहीं मांगी इस बारे में। यहां जी एक पीस म्यूजियम भी है जहां एटॉमिक बम जो गिरा था उसकी हिस्ट्री के बारे में या उनकी उस वक्त की जो लोगों के कपड़े वगैरह या जिस तरह की उनको मुश्किलात हुई थी उसकी पेंटिंग सब चीजें अंदर हैं। और दिखाया भी गया है कि एटम बम कैसे गिरा था। अंदर चलते हैं। इसकी फीस जो है 200 जैपनीज़ यन है। चल आ जाए। ये वो टाइम था जब एटम बम फटा था सवा के आसपास 6 अगस्त 1945 को। और यहां अंदर जो सीन है वो एटॉमिक बम फटने के बाद के सीन [संगीत] है। ये जितनी इमारतें हैं ये एटॉमिक बम गिरने के बाद उसके बाद थोड़े टाइम के बाद गिर गई थी। जस्ट वो जो डोम मैंने आपको पहले दिखाई है वही बच गई थी। यहां ये एटॉमिक बम गिराने का सीन दिखाया जा रहा है। इस तरह का सिटी था। और जब एटम बम गिरा उसके बाद अभी दिखाएंगे ये ये एटम बम गिर रहा [संगीत] है। ये ये सारी इसकी रेडिएशन थी और उसने देखें ये सब चीजें तबाह कर दी। मतलब इसको देखना ही कितना खौफनाक है। जैपनीज़ लोग जब सुबह को उठे होंगे उनको क्या पता होगा कि आज उनके साथ ऐसा कुछ होना है। ये देखें ये रेडिएशन है। सब चीज तबाह कर दी शहर की [संगीत] [प्रशंसा] इन्होंने। और ऐसा हो गया था शहर। उसके बाद ये देखें। यह देखें जी यह पेंटिंग बनाई हुई है। आर्टिस्ट या जो लोग बच गए थे वो कहते हैं कोई अजीबोगरीब किस्म की लाइट थी जो उनकी बॉडी के अंदर घुस गई थी। ये कुछ बच्चों के कपड़े रखे हुए हैं उस जमाने के जब एटम बम गिरा था तो उन्होंने सेव कर लिए हैं। जो इरशिमा के ऊपर एटम बम गिराया गया था उसकी शेप इस तरह की थी और नागासाकी पे जो एटम बम गिरा था उसकी शेप कुछ इस तरह की थी। इन्होंने शेप बना के रखी हुई है ताकि आपको आईडिया हो सके कि किस तरह के उस वक्त बम थे जो गिराए गए थे। हम लोगों ने जी पीस म्यूजियम विजिट कर लिया है। अंदर लोगों के उस वक्त के कपड़े थे और इवन कुछ लोगों की तो बॉडी के भी थोड़े-थोड़े जो टुकड़े थे वो भी पड़े हुए थे और इसके अलावा यूनिफार्म और बर्तन वगैरह उस जमाने के जो मतलब डैमेज हो चुके थे। सारी चीजें वहां पड़ी हुई थी। फीस इसकी 200 यन थी। जितनी भी जंगे होती हैं, सबसे ज्यादा जो नुकसान है, वह आम शहरी को ही होता है। देखिए, अब इस एटॉमिक बम वाली जान के अंदर 3 लाख लोग जो मर गए हैं, मतलब वो आम शहरी थे। हम लोग दोबारा चलते-चलते पीस पार्क के अंदर पहुंच गए हैं। यहां से अब हम ट्रेन लेके वापस ओसाका जाएंगे और आपको यहां ये वैलेंटियर लोग नजर आएंगे जो आपकी हेल्प वगैरह कर देंगे। अगर आपको कुछ भी इंफॉर्मेशन चाहिए आप इनसे पूछ सकते हैं। [संगीत] लेकिन बैग रखने के लिए खुली जगह होती है यहां। और हमारी सीट है 14 की। ये है हमारी विंडो सीट मिल गई है हमें दोबारा। ये इसका बाथरूम है जी। और बड़ा साफ सुथरा सा है। एक बड़ा खुला सा बाथरूम है। और इवन ये बच्चे का पपर बदलने के लिए भी जगह बनाई हुई है। बच्चे को बल्कि पैंपर बदलने के लिए भी और यहां बिठा भी सकते हैं। ये देखें बच्चे को यहां बिठा के आप टॉयलेट यूज़ कर सकते हैं। बाकी ये छोटा सा सिंक है। और यहां भी सिंक है छोटा सा। और इसके अलावा और कुछ नहीं। और यह है बच्चे को पपर बदलने के लिए ना। ये देखें। यह खुल जाता है जिसमें आप बच्चे को लिटा के पेपर बदल सकते हैं। यह बड़ा अच्छा सिस्टम है। यह बड़ा जबरदस्त है कि बच्चा बिठाओ और टॉयलेट यूज़ करो ना। और यह देखें ये कितना खुला बाथरूम है। और यहां एक बाहर भी सींग सा बना हुआ है। जहां आप हाथ वगैरह धो सकते हैं। फ्रेश हो सकते हैं। बाहर से कुछ ऐसा व्यू है। ऑलराइट जी हम लोग दोबारा ओसाका पहुंच गए हैं। आज हिरोशिमा गए थे विजिट करने के लिए। अमेरिका के करतूत देख के आए हैं आज हम लोग। बुलेट ट्रेन का बड़ा यार फायदा है। सुबह मैं इधर 10:00 बजे से निकला हूं और अभी 5:30 हो रहे हैं। तो मैं वापस उसाका पहुंच गया हूं। तक करीबन 270 कि.मी. के आसपास है यहां से हिरशिमा और सवा सवा घंटा ट्रेन लगाती है। मैंने पास ले लिया था। तो दोनों आने जाने की ट्रेन कवर हो गई थी। अभी उस पास का हम और भी यूज़ करेंगे। तो अभी मैं जा रहा हूं अपने हॉस्टल। ये देखें ये 5:00 बजे का टाइम है इस वक्त। मुझे लग रहा था कि आज बारिश होगी इसलिए मैं अंब्रेला भी साथ ले आया था लेकिन बारिश नहीं हुई तो अच्छा हो गया। ये देखें ये सामने है जी मेरा हॉस्टल हॉस्टल चिलेक्स। ये पूरी बिल्डिंग जो सी है ये हॉस्टल की है। हॉस्टल के बाहर ही वेंडिंग मशीन लगी हुई है। और देखें उसने पुराने जमाने की ना चीजें रखी हुई है। ये देखें ये वीसीआर होता था किसी जमाने के अंदर। और ये फिल्में होती हैं। और ये जनाब सा टीवी होता था। हम लोग देखा करते थे। याद है जब स्कूल में पढ़ते थे तो अब तो इनका जमाना ही खत्म हो गया है। तो यहां है जी हमारा हॉस्टल। [संगीत] ओम [संगीत] ओम [संगीत]

I traveled from Pakistan to Japan and visited Hiroshima — the city where the first atomic bomb was dropped in 1945. Standing at the site was an emotional experience. I felt deep sadness seeing the history, the destruction, and thinking about the innocent lives lost. I can’t even imagine what the local people went through during that time. This visit reminded me that nuclear war brings nothing but pain and destruction. War like this is never good for humanity. Peace is the only path forward.

#AtomicBomb #Hiroshima #SaveHumanity

3 Comments

  1. yar ais dafa kata kati nikal he jaiee tu acha, india tu ruck he nahe raha , slow war continue rukhee ta ka aun ko pata chale, ham be nuksan ho ga laken ais dafa khuch aysa karee ka next time aus ki jurat nahe ho ayse karne ki, pakistan zinda baad

  2. Sahe kaha ap ne abi be dono sides pa common log he mar rahe han, Allah na karee aysa ho. very nice sohaib bhai 💌💌💌💌