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Join us on a poignant journey through Hiroshima’s Peace Memorial Park as we pay tribute to the enduring spirit of resilience and hope. In this travel vlog, we explore the significance of the Hiroshima Peace Memorial, a poignant reminder of the devastation of war and the human capacity for healing and reconciliation.

Walk with us as we navigate through the serene landscapes of the Peace Memorial Park, filled with monuments, memorials, and the iconic Atomic Bomb Dome, standing as a silent witness to history. Through immersive visuals and heartfelt narration, we delve into the history and significance of each landmark, offering a deeper understanding of the profound impact of the atomic bombing and the city’s journey towards peace.

Experience the somber yet hopeful atmosphere as we engage with survivors, locals, and visitors, sharing their stories of remembrance, resilience, and reconciliation. From the tranquil waters of the Peace Memorial Pond to the thought-provoking exhibits at the Peace Memorial Museum, each moment offers a chance for reflection and contemplation.

Whether you’re a history enthusiast, a peace advocate, or simply curious about Hiroshima’s legacy, this travel vlog invites you to join us on a transformative exploration of one of the world’s most significant sites of remembrance. Together, let’s honor the past, embrace the present, and envision a future of peace and harmony for generations to come.

आप अगर दूर देखेंगे तो आपको एक बिल्डिंग नजर आएगी यह बिल्डिंग इस एटम बम के धमाके में वाहिद बिल्डिंग थी जो इस तरह इसका स्ट्रक्चर इस तरह रह गया था तो इसको एज इट इज रखा गया है ताकि वह मुल्क जो एटम बम बना रहे हैं इस वक्त और हम जैसे मुल्क जो

हर मई को एटम बम की के लिए केक काटते हैं और चागी को मॉडल बनाते हैं और बड़ी खुशियों का इजहार करते हैं उनके लिए मैसेज है कि जनाब अगर यह खुदान खस्ता खुद फट जाए या इसको फाड़ दिया जाए तो सूरते हाल ये निकलती है

यह इसका नतीजा यह होता है तो मेरा ख्याल यह है कि जो जो लोग जंगी जनून में मुब्तला हैं जो पाकिस्तान के अंदर भी यह कहते हैं कि चला दें एटम बम और जो इंडिया के अंदर भी कह रहे हैं उन सबको मेरा ख्याल है पकड़

के यहां पर बुलाना चाहिए और उसे दिखाना चाहिए कि जब एटम बम फटता है और यह वो बम है जो 1945 में बना था आज 2023 का जो बम होगा हो उसकी जो जो अजियत है जो तकलीफ है उसको आप एक लाख से जर्ब दे दे तो मेरा

ख्याल उन सब लोगों को यहां लाना चाहिए लाके उन्हें यह दिखाना चाहिए कि जब एटम ब फटता है तो होता क्या है क्योंकि लोगों ने ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा लोगों ने देखा ही नहीं होगा कि तबाही होती क्या है तकलीफ क्या होती है अजियत क्या होती है

बल्कि यहां पर आके एक और चीज का जो मुझे महसूस हुआ एहसास हुआ वो चीज यह थी कि जो लोग मर गए थे वो बच गए क्योंकि उनको कोई तकलीफ नहीं हुई वो अजियत का दरिया एक ही सांस में पार कर गए लेकिन जो लोग बच गए थे उन लोगों की जिंदगी

मिजबिल बाद उन सबको कैंसर भी हो गया और वह कैंसर के इलाज के एक अजियत से भी गुजरे फिर उसके बाद आहिस्ता आहिस्ता मरे और बड़ी खौफनाक मौत उन सबके लिए हुई तो अल्लाह ताला से दुआ करना चाहिए कि अल्लाह ताला हमें इस किस्म के अजाब से बचाए और अगर कोई

इस किस्म का अजब आ जाए तो फिर हम उसमें से बच ना सके ताकि फौरी तौर पर पहली सांस में हम दुनिया से रुखसत हो जाए क्योंकि जो लोग बच जाते हैं उनकी जिंदगी अजियत नाक हो जाती [संगीत] है यहां पे बच्चों को लाया जाता है स्कूल से

और उनको यहां पर एक्सरसाइज करवाई जाती है दुआ करवाई जाती है रोज दुआ होती है यहां पे यह सब अपना सर झुका के अल्लाह ताला से मदद मांगते हैं ड से मदद मांगते हैं कि हमें इस किस्म की अजय से तकलीफ से बचाए यह फैमिलीज है लोग हैं और बच्चे हैं मुतली

टूरिस्ट हैं जो यहां पर खड़े होकर दुआ कर रहा है और एक मिनट की खामोशी इयार करते हैं यहां पर लोग आ अब इंसान के पास दो ऑप्शन होते हैं एक ऑप्शन तो यह होता है कि व अमन से इत्मीनान से दुआ कर ले और दूसरा ऑप्शन यह होता है

कि स् डिजास्टर के बाद दुआ कर ले जैसे कि अल्लाह ताला हमें रोज मौका देता है कि तुम अपने रब की कौन-कौन सी नेमतों को झुठला होगे तो हम उसको याद करके दुआ कर ले तो ज्यादा अच्छा है और अगर हम वह नहीं करते तो फिर इस तरह डिजास्टर्स के बाद फिर

दुआएं करना पड़ती है और इस तरह लोग आकर बताते हैं कि क्या हुआ क्या था यह एक पुरानी माई है इनको ये बता रही है कि जब हुआ था या टमा फटा था तो क्या हुआ था देखिए सबको सक्ता आ रही है इ सब पे ये बिल्डिंग है

सामने जो बच गई थी और उसको इसी तरह एज इट इज रखा गया है िया के किनारे िया के साथ-साथ यह वो दरिया है कि जब बम फटा 8:1 पे और 6 सितंबर 1945 को तो लोग आराम से जिंदगी गुजार रहे थे बच्चे स्कूल जा

रहे थे दुकानें खुल रही थी दुकानें बंद हो रही थी चल रही थी ट्रेनों पर लोग बैठ रहे थे टैक्सियों पर बैठ रहे थे गाड़ियों में बैठ रहे थे और जो बिजनेस एज यूजुअल चल रहा था लेकिन फिर अचानक 8:1 पे आसमान से एक बम नीचे गिरा और चंद

सेकंड के अंदर यहां पर गर्दों गुबार और हीट के अलावा कुछ भी नहीं था और उस हीट ने पिघला के रख दिया सबको यह टाउन हॉल था जो इसी तरह महफूज है आज तक के लोग आए और इसको इबरत की निगाह से देखें और यह ये वो दरिया

है जिसके अंदर लोगों ने कूदना शुरू कर दिया था दरिया के अंदर कोई जगह नहीं बची थी कि कोई शख्स कूद सके इतना यह भर गया लेकिन जो भी कूदता था उसकी लाश भी थोड़ी देर में तहर शुरू हो जाती थी लोग बच नहीं पाते थे उसकी वजह यह कि इंतहा दर्जे की

हीट आप खुद अंजदा लगाइए कि 3000 सेंटीग्रेड की अगर हीट हो और उससे बर्न हुई हो चीजें और जब यह ब्रिज तक पिघल गया था और उसके बाद वो गिर गया था तो अब आप खुद अंदाजा लगाए कि इंसान कैसे बच सकते थे तो वो सामने आपको एक सीढ़िया नजर आ

तो एक तस्वीर के अंदर यह सीढ़ियां लोगों से भरी हुई थी और लोग यहां से सीढ़ियों से नीचे उतर के पानी के अंदर कूदने की कोशिश कर रहे थे लेकिन बच नहीं सका कोई भी यह होती है ट्रेजेडी मैं थोड़ा सा खुद सेंटीमेंटल सा हो गया हूं क्योंकि इंसान

की तकलीफ देखना इतना आसान काम नहीं है यहां पर वह बहुत मुख्तलिफ माइया होती हैं बाबे होते हैं जो इस शहर से जिनका ताल्लुक है और जो इस जिन्होंने इस हादसे को देखा या वह महफूज रहे या फिर इनकी टीचर्स होती हैं जो यहां आ के बच्चों को

यह बताती हैं कि वहां पर सूरते हाल थी क्या हुआ क्या था ये टीचर अपने बच्चों को बता रही है मेरे पीछे आपको एक बिल्डिंग नजर आ रही है और उसके ऊपर जापानीज लैंग्वेज में शीमा लिखा हुआ है यह शीमा हॉस्पिटल है और यह इसको हिरोशिमा में ग्राउंड जीरो कहा जाता

है क्योंकि एगजैक्टली इसके ऊपर बम फटा था यह 6 अगस्त 1945 को जब अमेरिका ने हिरोशिमा पर एटम बम का हमला किया था पहला एटम बम दुनिया में फटा था तो ये बम एगजैक्टली इस हॉस्पिटल के ऊपर फटा ऊपर क्योंकि नीचे बम नहीं गिरा ये फिजा के

अंदर फटा था और उसी वजह से पूरा एक छतरी सी बनी थी मशरूम बनी थी और एगजैक्टली इस हॉस्पिटल के ऊपर और इस को शीमा हॉस्पिटल कहते हैं को डॉक्टर शीमा था जिसका ये हॉस्पिटल था जिसने ये हॉस्पिटल बनाया था और जब वो बम फटा तो इसके अंदर 80 मरीज और

डॉक्टर्स थे और वो सारे के सारे इमीडिएट फौत हो गए और इसके बाद फिर यहां से रेडिएशन फैली और आगे एक डूम है जो मैं आपको दिखाऊंगा और उसके बाद वह तबाह हो गया तो इस हॉस्पिटल के जो मालिक थे डॉक्टर शीमा वह बच गए थे वो इसलिए बच गए थे कि वह

उस दिन ऑपरेशन करने के लिए किसी एक दूसरे शहर में गए हुए थे और उनके साथ एक नर्स थी और वह नर्स और वो डॉक्टर बच गए बाकी सारा स्टॉफ सारे मरीज इसके अंदर इमीडिएट फौत हो गए और यह खत्म हो गया मुकम्मल तौर पर

बिल्डिंग खत्म हो गई थी और डॉक्टर साहब का एक बेटा था जो उस दिन अपने घर पे था वह हॉस्पिटल में नहीं था वो भी बच गया था और वो बाद में डॉक्टर बना और उसके बाद फिर उसने यह हॉस्पिटल दोबारा रिबिल्ड किया फिर वो इस हॉस्पिटल का मालिक रहा फिर उसके बाद

इनका पोता जो वो डॉक्टर है जो अब इस हॉस्पिटल को चला रहा है तो ये एक फैमिली है जो शीमा फैमिली है जो पूरी दुनिया में पहचानी जाती है कि इनका ये हॉस्पिटल था जो बम की वजह से एटम बम की वजह से तबाह हुआ

था और आज भी हॉस्पिटल अपनी जगह प कायम है और यह अमेरिकंस कोई सिटीजन हो या अमेरिकन मरीज हो तो उसको फ्री ऑफ फ्री ऑफ कॉस्ट ट्रीटमेंट देते हैं उनको मुफ्त ट्रीटमेंट देते हैं और यह होता है जपनीज इंतकाम कि आप इस तरह इंतकाम दूसरी कोमस इस हॉस्पिटल

के बिल्कुल साथ-साथ हम आगे जाएंगे और एक बिल्डिंग है जो सरकारी बिल्डिंग थी जो टाउन हॉल था उस वक्त जो महफूज रहा इस सारे हमले के दौरान यह वैसे तो बिल्डिंग तबाह हो गई लेकिन उसका स्ट्रक्चर कायम रहा और यह मैं आपको बताता चलू कि यह जो बिल्डिंग

है यह सरकारी बिल्डिंग थी गवर्नमेंट ने बनाई हुई थी लेकिन इसका कमाल देखें इस बिल्डिंग का कि यह बिल्डिंग इतनी मजबूत थी कि स्ट्रक्चर इसका आज भी कायम है और एटमी हमले के बाद भी कायम रहा बिल्डिंग खत्म हुई उसकी जाहिर है हर चीज तबाह हो गई

लेकिन स्ट्रक्चर उसका खड़ा है उसी उसी तरह और आज भी इन्होंने स्ट्रक्चर को खड़ा किया हुआ है जो पूरी दुनिया में मशहूर है यह टाउन हॉल उसका स्ट्रक्चर है और यह बिल्कुल एटम बम जहां पर फटा उसके बिल्कुल साथ इसको य कहते हैं कि सरकारी ठेकेदार अगर अच्छा

हो तो वह इस किस्म की बिल्डिंग बनाता है कि एटमी धमाके में भी बिल्डिंग तबाह नहीं होती तो यह देखें इसका स्ट्रक्चर उसी तरह ऊपर जो इसका मीनार है जो गुंबद वह आज भी उसी तरह कायम है तो मेरा जो सरकारी ठेकेदार हैं पाकिस्तान के उनको मशवरा है कि भाई साहब

खुदा खौ फी करें कोई इस हिरोशिमा से सीख ले आप कम से कम ऐसी बिल्डिंग बनाए जो जलजा तो बर्दाश्त कर दे और इस बिल्डिंग का कमाल यह है कि देखें यह एटमी धमाका भी बर्दाश्त कर गई थी सरकारी ठेकेदार अगर अच्छे हो तो इस तरह होता है और इसके अंदर दाखिल नहीं

हो सकता कोई बंदा भी क्योंकि उन्होंने महफूज रखा हु साथ लिखा हुआ है कि अगर आप अर दाखिल होंगे तो यहां पर अलार्म बच जाएंगे यह देखिए लिखा हुआ है अलार्म सिस्टम इज प्लेस डोंट एंटर क्या आप अंदर दाखिल ना हो क्योंकि इसके अंदर उन्होंने अलार्म सिस्टम लगाया हु शायद इसकी वजह यह

भी हो कि रेडिएशन आज तक इसकी कायम हो तो यह पूरा शहर इन्होने दोबारा बनाया जपनीज सिर्फ एक बिल्डिंग इन्होने छोड़ दी कि जनाब यह एक मिसाल रहे यहां पर मैं आपको एक और बड़ी दिलचस्प बात बताऊ कि जापान के अंदर लाश दिखाना जो है ना जायज नहीं है

गैर कानूनी है इसलिए पिछले जब 2011 में सुनामी आया यहां पे तो उस सुनामी में 11000 लोग मर गए थे लेकिन उसमें से किसी शख्स की लाश नहीं दिखाई गई थी लेकिन यह वाही जगह है हिरोशिमा जहां के जो पीस सेंटर है उसमें लाशें दिखाई जाती हैं

इसलिए ताकि दुनिया को दिखाया जा सके कि एटम बम का नतीजा क्या निकलता है तो यह एक अमेरिका से इंतकाम भी है कि जो अमेरिका ने किया 1945 में जापनीज उसको प्रिजर्व करके पूरी दुनिया को दिखाते हैं कि जनाब यह प्रोटेस्ट नहीं करते नाम नहीं लेते लेकिन

और ये उन्होंने एक यहां प पत्थर लगाया हुआ है जो एटम बम की निशानी है कि इस जगह पे बम फटा था तो वो हॉस्पिटल पीछे और उसके साथ ये तो ये जगह है सारी जिसके ऊपर एटम बम और ये याद रखिएगा कि एटम बम नीचे गिरा

नहीं था फिजा के अंदर फटा था इसलिए उसने सारी ऑक्सीजन खत्म कर दी और टेंपरेचर बहुत ज्यादा बढ़ा दिया जिसकी वजह से लोग मर गए थे तो एटम बम के बारे में ये कहते हैं कि वो नीचे जमीन पर गिरता नहीं है वो फिजा के

अंदर ही फट जाता है और उसके बाद सारे लोग जो होते हैं या आबादी वो खत्म हो जाती हैं स्मैश हो जाती है हर चीज हां र है हीट इतनी ज्यादा होती है कि हर चीज पिघल जाती है तो ये है हिरोशिमा कल यहां पे टीचर्स

आते हैं लोग आते हैं प्रोफेसर्स आते हैं लोगों को बताते हैं ये गाइड हैं लोगों को बता रहे हैं कि क्या हुआ था एगजैक्टली तो मई का महीना है जाहिर है हमने भी एटम बम बनाया है और हम इस पे खुश भी बहुत हैं चागी के मॉडल्स भी बनाए हुए हैं हमने ठीक

है वो पाकिस्तान को प्रोटेक्ट कर रहा है इसमें कोई शक नहीं है और हमारा एसेट है और जब तक वह एसेट है हम इंडिया से या दुनिया से बचे रहेंगे यह अपनी जगह पे लेकिन बम याद रखें कि इस्तेमाल करने के लिए नहीं होता ये इस टाइप का बम है जिसको हम

इस्तेमाल नहीं कर सकते और ना ही हमें इसके बारे में सोचना चाहिए और जो शख्स भी बात करें एटमी द माको के बारे में चला दें उड़ा दें तो मेरा ख्याल है उसको फेंटा लगना चाहिए क्योंकि ये एक गैर जिम्मेदार किस्म की स्टेटमेंट है जैसे अक्सर लोग हम

कहते हैं जी हमने कोई बम जो है ना छपरा प चलाने के लिए तो नहीं बनाया हुआ खुदा खौ फी करें आप यहां आके एक बार देखें सही कि होता क्या है इंसानियत बहुत बड़ी चीज है अगर इंसान ही नहीं रहेगा तो क्या बचेगी फिर दुनिया के

अंदर और उसके बाद यह वो दरिया है जिसके अंदर लोगों ने चलांगे लगा दी थी क्योंकि उसके फोरन बाद यहां पर बहुत जाहिर है हीट बढ़ गई और याद रखें कि 140000 लोग मर गए थे उसमें इमीडिएट कुछ पता नहीं है कुछ कहते हैं 6 हज थे कुछ कहते हैं 74000 थे

कुछ कहते हैं 94 हजार थे लोग जो इमीडिएट पहले धमाके के अंदर ही फौत हो गए और उसके बाद फिर मरते चले गए मरते चले गए तो कोई तकरीबन पने लाख बंदा दो शहरों में नागासाकी और हिरोशिमा के अंदर मरा था और यह जो पूरा ब्रिज था यह

पिघल गया था और इसकी म्यूजियम के अंदर ही इसके पिघले हुए जो पीसी व रखे हुए इवन ऊपर जो आपने देखा है जो इसकी फेंस है उसके भी टूटे हुए टुकड़े इन्होंने अपने म्यूजियम के अंदर रखे हुए हैं यह पीस केमन कितनी बड़ी चीज है यह प्राइम मिनिस्टर था सुजुकी इनका

जिसके दौर में यह सब कुछ हुआ था तो बड़ी ही टेरिबल खौफनाक किस्म की मेमोरीज हैं और मैं इमरान खान साहब को भी यहां पर बताना चाह रहा हूं कि इंसान को उस लेवल पर नहीं जाना चाहिए कि जिससे वापस आना मुश्किल हो जाए तो इमरान खान साहब के लिए भी हिरोशिमा

से बहुत बड़ा सबक है कि इंसान को तदान का मुजहरा करना चाहिए और इस सारे मामले में यह तबाही आई अ जापान के अंदर उसमें जो बहुत बड़ा हिस्सा था वो इनके प्राइम मिनिस्टर का था प्राइम मिनिस्टर नहीं मान रहा था और जो इनके बादशाह थे हीरो हीट वो समझ गए थे कि

ये सूरते हाल बड़ी खराब है और हमें अब सरेंडर कर देना चाहिए क्योंकि मई के महीने में मई 1945 में जर्मनी ने सरेंडर कर दिया था और उसके बाद अब लाइट के पास सिर्फ एक ही ऑप्शन बचा था कि वो जापान को तबाह कर दे तो बार-बार इतहाद जापनीज को कह रहे थे

कि आप भी सरेंडर कर दें ताकि किसी पीसफुल सलूशन की तरफ जाएं लेकिन इनके जो प्राइम मिनिस्टर थे सुजुकी नाम था उनका वह इंकार कर देते वही कहते थे हम आखिरी बुलेट और आखिरी बंद तक लड़ेंगे और फिर अमेरिका ने एटम बम बना लिया जब जुलाई में एटम बम

तैयार हो गया तो उन्होंने फौरी तौर पे यहां इनकी गवर्नमेंट से रापता करके कहा कि आप अनकंडीशनल सरेंडर कर दें नहीं तो हमारे पास आटम बम में हम फेंक देंगे तो इनके प्राइम मिनिस्टर जो थे उनका ख्याल था कि नहीं ये झूठ बोल रहे हैं इनके पास कोई

आइटम बम नहीं है हमें सिर्फ डरा रहे हैं तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया फिर यहां पे एटमी हमले से पहले लीफलेट्स मुख्तलिफ जहाजों के जरिए फेंके गए थे कि हम एटम फेंक रहे हिरोशिमा पे तो बेहतर यह है कि आप लोग यहां से निकल जाएं लेकिन गवर्नमेंट ने उसको भी सीरियस नहीं

लिया बिल्कुल इसी तरह इमरान खान साहब की तरह जैसे इमरान खान साहब अट जाते हैं तो उनके प्राइम मिनिस्टर भी हट गया जबकि इनका किंग बार-बार यह कह रहा था कि यार हमें अब देखना चाहिए सारे लोग इकट्ठे हो गए हैं पूरी कौम में हम अकेले रह गए हैं क्योंकि

अब जर्मनी भी हमारी सपोर्ट नहीं कर पा रहा तो हमें सरेंडर करके पीस पीस की तरफ जाना चाहिए लेकिन प्राइम मिनिस्टर नहीं मान रहा था और फिर अल्टीमेटली 6 अगस्त 1945 को यहां पर पहला एटमी धमाका हो गया और जब एटमी धमाका हुआ तो उसके बाद

भी उनको जो प्राइम मिनिस्टर था वो नहीं माना और उसने कहा कि कोई मसला नहीं है आपने हम पर हमला कर दिया लेकिन अब हम जवाब देंगे इसका तो फिर उसका नतीजा ये निकला कि तीन दिन बाद नागासाकी के ऊपर दूसरा हमला हो गया और उसमें पहले से ज्यादा तबाही आई

नागासाकी के बाद दो और टारगेट्स थे जो बिल्कुल इसके साथ ही थे और वह मिल्ट्री टारगेट से और वो भी बड़े शहर थे तो उससे फौरी तौर पर जो उनका जो कि है उसने कहा कि नहीं और उसने प्राइम मिनिस्टर की तमाम पोजीशंस और पावर्स होल्ड करके वो आगे आया

और उसने सरेंडर का ऐलान कर दिया तो 15 अगस्त 1945 को जापान ने सरेंडर कर दिए और उसके बाद फिर एक पीसफुल सोलूशंस की तरफ गए फिर एग्रीमेंट्स हुए और फिर जाक ये जंग खत्म हुई और उसका नतीजा यह निकला कि जापान के अंदर फौज प पाबंदी है यहां पे फौज ना

मिलिट्री ट्रेनिंग हो सकती है ना फौज बनाई जा सकती है और ये अमेरिका हर साल यहां से इनसे 10 बिलियन डॉलर लेता है कि हम आपकी हिफाजत करेंगे तो उसका नतीजा यह निकला कि ना आप यहां पर वेपन बन सकता है कोई ना यहां पर कोई फौज है और यह अब पॉलिटिशन के

और शाही खानदान के हवाले यह मुल्क है तो मुल्क हो या कौम हो या फिर लोग हो या फिर पॉलिटिकल पार्टीज हो वह अपनी जिद्द की वजह से मार खाती हैं इमरान खान साहब के लिए मैसेज है हिरोशिमा से कि आप उस लेवल पर ना

जाए कि जिससे वापसी मुमकिन ना हो तो इ खान साहब के लिए एक मैसेज मैं यहां से रिकॉर्ड कर रहा हूं इस टूटी हुई बिल्डिंग से कि आप एक पॉलिटिशियन हैं आपकी पार्टी बड़ी जबरदस्त पार्टी है आप पाकिस्तान के यूथ को आपने मोबिलाइज किया आपको अल्लाह ताला ने

बहुत ज्यादा मेहरबानियां से नवाजा आपको बहुत सलाहियत से नवाजा है तो आप अपनी पॉलिटिकल पार्टी को बचाएं उस लेवल पर ना जाएं कि जहां से वापसी मुमकिन ना हो अभी भी एक गुंजाइश मौजूद है कि आप इस चट्टान के ऊपर लटके हुए हैं आप इस टान को पकड़

सकते हैं और अपनी पुरानी गलतियों का तरा करके थोड़ा सा पीछे हटके अपनी और अपनी पार्टी को बचा सकते हैं तो यह हिरोशिमा से इमरान खान के लिए मैसेज है के और मैं यह चाहता हूं कि इमरान खान साहब इस बिल्डिंग की तस्वीर अपने ऑफिस में लगा ले और फिर यह

कहे अपने वर्कर्स से कि हमने उस लेवल पर नहीं जाना कि जहां पर आके दूसरे मुल्क या दूसरी पावर्स एटमी हमला करने पर मजबूर हो जाए कि जैसे कि अब पूरी रियासत इमरान खान साहब के साथ टकरा गई उसकी वजह यह है कि इमरान खान साहब ने उन सबके लिए गुंजाइश ही

नहीं छोड़ी और जब वो एक गुंजाइश दे रहे थे पीछे हट रहे थे थोड़ा-थोड़ा रिक्वेस्ट कर रहे थे इमरान खान साहब से तो इमरान खान साहब उसी तरह बिहेव कर रहे थे जिस तरह जापान ने 1945 में किया था व समझ रहा था कि नहीं यह मेरा कुछ नहीं बिगाड़

सकते हम बहुत आगे चले गए हम कामी काजी हैं तो हम तो बिल्कुल उड़ा के रख देंगे इनको और शिकस्त मान रहे हैं अमेरिकंस तो फिर यही हुआ कि फिर आखिरी जो ऑप्शन था अमेरिका के पास वह अमेरिका ने इस्तेमाल किया तो मेरा ख्याल है इमरान खान साहब ने

एस्टेब्लिशमेंट के लिए कोई ऐसा चांस नहीं छोड़ा था कि वह इनको अब रायत देते क्योंकि बिल्कुल जब कोर कमांडर के घर में घुस गए आप बिल्कुल आपने हिरोशिमा बना दिया तो फिर उसके बाद तो जाहिर है दूसरी तरफ से भी रिस्पांस आएगा तो फिर रिस्पांस आया तो

जिंदगी में याद रखें कि आप बिजनेसमैन है या आप पहलवान है या फिर आप सियासत है आपको इतनी गुंजाइश रखनी चाहिए कि दूसरे के साथ बैठ के आप मुजा करराय कहेंगे डाकू कहेंगे और लुटेरे कहेंगे और यह कहेंगे कि मैं मर जाऊंगा लेकिन इनके साथ बात नहीं करूंगा तो फिर कल

अगर आपको मिया नवाज शरीफ के साथ बैठना पड़ता है या फिर आपको आसफ अली जरदारी के साथ बैठना पड़ता है या आपको जनरल आसम मनीर के साथ बैठना पड़ता है या जनरल बाजवा के साथ बैठना पड़ता है तो आप कैसे बैठेंगे क्या करेंगे आप तो यह एक मैसेज है इमरान

खान साहब के लिए यहां पे और यह जो बिल्डिंग है उसकी कुछ पुरानी तस्वीरें भी मैं आपको दिखा देता [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] हूं [संगीत] इस बिल्डिंग का आपने देखा स्ट्रक्चर जो मेन थी व कैसी थी फ उसके बाद बम धमाके के बाद कैसी हुई इसकी एंट्री है जब उस दौर

में जब लोग एंटर होते थे तो सामने यह देखें कि एक फाउंटेन था और फि यहां से इस बिल्डिंग के अंदर दाखिल हुआ जाता था उस जमाने में लेकिन अब सिर्फ खंडरई है यह इस तरह है लेकिन फिर मैं अगेन जो इसके ठेकेदार हैं सरकारी ठेकेदार

उनको दात दूंगा कि 1900 45 में जो एटमी धमाके के अंदर जो बिल्डिंग गिरी थी वह इसके बावजूद आज भी खड़ी है कायम है जब हलाल की पैसे लगे हो और किसी बंदे ने हलाल काम किया हो तो इस तरह होता है अंदर सरिए तक खड़े हैं देखें कंक्रीट प जबकि हमारी

बिल्डिंग जो है वह दो चार साल के बाद वैसे खड़क जाते हैं तो बेईमानी की इंतहा है भाई तो आखिर में ठेकेदारों इमरान खान साहब के साथ-साथ आप भी सबक सीखें कुछ खुदा कोफी करें

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